वर्ना गांधी पसंद कब थे उन्हें

  • --------------------------- संतोष पटेल


सच पूछो तो उन्हें
गांधी से कोई प्रेम नहीं
ना कोई प्रेम है अंबेडकर से।

लेकिन ज्ञानी बनना भी है
और सत्ता का लाभ लेना भी है
सुर्खियों में रहना उनकी आदत है
फिर करें क्या वे?

वस्तुत:आसान है  उनको गांधी को चुनना
ताकि कर सकें वे गांधी का प्रयोग मन मुताबिक
और करते भी हैं वे अक्सर ऐसा
अंबेडकर से उपजे भड़ास को मिटाने के लिए
गाते हैं गांधी का धुन वे
लेकिन अल्लाह का नाम झाड़-पोंछ कर
मसलन
रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम
ईश्वर, अल्लाह तेरो नाम सबको सम्मति दे भगवान ।

कल गांधी जयंती है वे राजघाट पर दिखेंगे
गांधी शांति प्रतिष्ठान में दिखेंगे वे
गांधी विचार मंच पर दिखेंगे वे
सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं में दिखेंगे वे
दिखेंगे गांधी के सत्य और अहिंसा पर देते हुए भाषण।

पर यह है मात्र उनका छद्म प्रेम गांधी से
गांधी मजबूरी हैं उनकी
जबकि अंबेडकर देते हैं उनको चुनौती रोज-रोज
दरअसल अंबेडकर की चुनौती से ही डरकर
गांधी के शरण में जाना पड़ता है
वर्ना गांधी उनको पसंद कब थे?

(कवि संतोष पटेल नयी दिल्ली स्थित दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव हैं.)

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.